Bagore ki Haveli

Bagore ki Haveli

Written by Himanshu

संस्कृति और रंगों से भरे राजस्थान की एक झलक ‘Bagore ki Haveli’ – Udaipur और उसके ‘Dharohar Show – Folk dance of Rajasthan’ में मिलती है। हम भी उसी की खोज में उदयपुर की संकरी गलिओं से होते हुए पिछोला झील के गंगोरी घाट पर पहुंच गए।

जनवरी की शाम और पिछोला झील से आती ठंडी हवा ने हमें गंगोरी घाट से बाँध सा दिया था लेकिन हम 7 बजे का Dharohar Show – Folk dance of Rajasthan छोड़ना नहीं चाहते थे। Bagore ki Haveli का लम्बा सा दरवाज़ा राजस्थान के राजवाड़ों की एक छोटी सी झलक दिखा रहा था।  हम जल्दी से अंदर की ओर चलने लगे। अपना और अपने कैमरे का टिकट खरीदने के बाद हम संकरे गलियारे से होकर 1st floor पर पहुँच गए।

नीम के आंगन (neem courtyard) पर लोगों का जमावड़ा दिखा तो हम भी जगह ढून्ढ कर बैठ गए। लोगों से भरे आंगन में ज़्यादातर विदेशी लोगों को देख कर एक समय ऐसा लगा कि क्या हम अपने ही देश में हैं। इंतज़ार बढ़ रहा था और उसके साथ भीड़ भी। वाकई काफी लोकप्रिय थी यह जगह। पर हम तो हवेली की खूबसूरती और रंगों में गुम से हो गए थे। कहतें हैं 250 साल पुरानी इस हवेली में 130 से ज्यादा कमरें हैं जिन्हें रंग बिरंगे कांच से बनी आकृतियों से सजाया गया है। वाकई इस जगह की सुनदरता ‘Places to visit in Udaipur‘ की लिस्ट में इसे एक महत्वपूर्ण स्थान देती  है।

तभी तालियों की गड़गड़ाहट ने हमारी निगाहों को मंच की तरफ धकेल दिया।

Chari Dance

माईक पर राजस्थान की संस्कृति के बखान के बाद उसके अनेक लोक नृत्यों का वर्णन हुआ और फिर शुरुआत हुई Dharohar Show – Folk dance of Rajasthan की। सिर पर रखे ताम्बे के कलश जिसमें रखे दिए की भभकती आग चारि डांस का मुख्य आकर्षण थी। Chari यानि घड़ा जिसे लेकर राजस्थान के गाओं में गुज्जर और सैनी समुदाय की महिलाऐं मीलों चलकर पानी लेकर आने के बाद दिया जलाकर अपनी प्रसन्नता ज़ाहिर करती थीं। Chari Dance राजस्थानी शादियों या किसी विशेष ख़ुशी के मौके पर भी आयोजित किया जाता है।  

हवेली की सभी lights बंद कर दी गई और फिर सिर पर आग की लपटों भरे घड़े रख कर शुरू हुआ chari dance एक अलग ही नज़ारा था। 

Terah Taal Dance

Chari Dance से सम्हा बंधा ही था कि एक और परफॉरमेंस शुरू हो गया । Terah Taal Dance  के नाम से जाने वाले इस डांस में शरीर के 13 हिस्सों में मंजीरा बाँधा जाता है ताकि डांस करते समय 13 ताल निकले।  Terah Taal Dance तलवारों के साथ बहुत मेल-जोल और लय में किया जाता है। 

इसे देख कुछ देर सांस रुक सी गई और डांस ख़त्म होने के बाद हैरत के भाव सबके चेहरे से साफ़ झलक रहे थे।  

bagore ki haveli

Maa Ambe and Bhasmasur Fight

एक के बाद एक अनोखे performance के बाद अब वक्त था एक लोक कथा का।  ये कहानी थी माँ अम्बे की जो अपने शेर पे बैठ भस्मासुर से घातक युद्ध कर उसका संहार करने निकलीं थीं। इस पूरी कहानी का आकर्षण किरदारों का भाव था जो आक्रामकता से भरा हुआ था। 

पूरा मौहौल अब गर्मजोशी से भर चुका था। 

Ghoomar Dance

राजस्थान के सबसे प्रचलित नृत्यों में से एक है ghoomar dance।  अनेक रंगों की पोशाकों से सजी बींदड़ियाँ जब मंच पर उतरीं तो फिर एक समां सा बन गया। विदेशी पर्यटकों के लिए ये रंगों, सुर और नृत्य का अनोखा संगम था। भारत की संस्कृति के इस संगम को सभी अपने कैमेरे में उतारने की कोशिश में लगे थे। शायद वे भी ये जानते थे की ये अनुभव उन्हें और कहीं न मिल पाएगा।  

bagore ki haveli

Kathputli Dance

मंच अभी खली ही था कि लगा की कोई तेजी से भागा चला आ रहा है। ये कोई इंसान नहीं बल्कि इंसान की उँगलियों पर नाचती कठपुतलियां थीं। राजस्थान आएं हैं और बिना इन् कठपुतलियों को देखे वापस चले जाएँ तो ये सफर अधूरा ही लगता। पर जनाब यहाँ केवल डांस ही नहीं बल्कि जादु का शो दिखाने प्रसिद्ध कठपुतली जादूगर भी आये थे। पूरा समां ठहाकों से गूंज उठा माहौल खुशनुमा और हल्का हो गया। 

kathputli dance

Bhavani Dance

Bagore ki Haveli और उसका Dharohar Show – Folk dance of Rajasthan हमारे मन के कई भावों को छूने के बाद अब अपने आखरी performance की तरफ बढ़ चला था। एक मटके को सिर पर रख कर 70  साल की महिला को आते देख सभी ने तालियों से उनका स्वागत किया। लेकिन देखते ही देखते कब मटके एक से दो, दो से चार और चार से छे हो गए पता ही न चला। सिर पर मटकों को संतुलित करते हुए नृत्य करने को राजस्थान में Bhavani Dance के नाम से जाना जाता है।

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